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प्रश्न सिंदूर का

Meri Baat
Meri Baat
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उसके माँग में लगती सिंदूर भी रो उठी और सिसकते हुये उससे कहने लगी,
“ये जन्म-जन्मांतर का सफर तो किसी और के, अंगुलियों से; लगाने का वादा किया था तुमने?
उसके सिने से लग कर तुमने ही तो बोला था “मेरी मांग पर सिर्फ तेरे नाम की सिंदूर होगी”!
क्या वक्त के साथ तुम्हारी रूह भी बदल गयी?
जब किसी और की अंगुलियों ने तुम्हारे मांग को छुआ था, तो तुम्हारे ह्र्दय की गति मंद नहीं हुयी? ©आशीष कमल
तुम्हारे उन आँखों ने आँसू नहीं निकाला? तुम्हारे मोहब्बत ने तुम्हें धिक्कारा नहीं? …………..जिसके पलकों पर बैठ कर तुमने ख्वाबों के आसमान का भ्रमण किया था, उस आसमान के सितारों ने तुम्हें बताया नहीं; की, कैसे वो अपना सब कुछ तुम्हारे नाम कर दिया था! वो रात; उस समय अंधेरा नहीं किया जिसके आगोश में तुमने चांद की दुहाई देकर उसके संग जीने-मरने की कसमें खायी थी? वो मृदंग, वो शहनाईयाँ अवरूद्ध नहीं हुयी? जिसने कभी उसके लाख बार मिन्नत करने के बाद तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हें प्रित की धुन सुनायी थी, तुम्हारे मस्तिष्क ने तुम्हें रोका नहीं? जो कभी उसके दिये हुये इशारों पर चलती थी, तुम्हारे गेसूओं ने तुम्हारे बालों को बिगाड़ा नहीं? जो कभी उसके बिना लहराती नहीं थी, तुम्हारी भावनाओं ने तुम्हें समझाया नहीं? जिसने तुम्हें पिता के जैसा स्नेह और पुत्र के जैसा प्रेम दिया था”…
आज मैं असहाय सी हो गयी हूँ तुम्हारे माँग में लगकर- क्या जबाब दूँगी; जब वो मुझसे प्रश्न करेगा……
©आशीष कमल
Pic from Asheesh Kamal Facebook Timeline

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